कागज़ की कश्ती जैसी जिंदगी का भरोसा आखिर क्यों करना ! कागज़ की कश्ती जैसी जिंदगी का भरोसा आखिर क्यों करना !
गढ़े मुर्दे उखाड़ना, ये समाज की पहचान है आज समाज, समाज नही, एक श्मशान है! गढ़े मुर्दे उखाड़ना, ये समाज की पहचान है आज समाज, समाज नही, एक श्मशान है!
तुम अभी से हार जाने की बात करते हो ! तुम अभी से हार जाने की बात करते हो !
इतनी खामोशी से लफ्ज़ों को संभाला है "पवन", हर जुबां पर तुम्हारी ग़ज़लें चल रही हैं। इतनी खामोशी से लफ्ज़ों को संभाला है "पवन", हर जुबां पर तुम्हारी ग़ज़लें चल र...
तुम्हें एहसास नहीं है प्रियतम तुमने क्या खोया है..! तुम्हें एहसास नहीं है प्रियतम तुमने क्या खोया है..!
आँखें देतीं सर्वस्व वार जो तुम आ जाते एक बार। आँखें देतीं सर्वस्व वार जो तुम आ जाते एक बार।